नेहरू बाल पुस्तकालय >> फिर क्या हुआ फिर क्या हुआज्ञानेश्वर
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प्रस्तुत है पुस्तक ज्ञानेश्वर की फिर क्या हुआ
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
उपन्यास के पात्र
चीनू : छोटी लड़की
पापा : चीनू के पिता
नंदू : बस का ड्राइवर
पापा : चीनू के पिता
नंदू : बस का ड्राइवर
सुंदर : बंदर का बच्चा जिसकी मां बस के नीचे आकर मर गयी है
मंगू : नंदू का छोटा बेटा
मंगू की मम्मी : नंदू की पत्नी
टुंडू : तवी दरिया के पास जंगल में रहने वाला एक छोटा बंदर
कक्खा : तवी दरिया के किनारे रहने वाला एक और बंदर
सत्था, शटप्पा, घुरको, लौंकर, खरड़ा, सरदा, गुल्लो, पांडा : सभी तवी के किनारे रहने वाले छोटे-छोटे बंदर
शेरा : बंदरों का सरदार बूजो बंदर
स्वामी बंदर : नंदिनी के जंगल में रहनेवाले बंदरों का सरदार
रात होने पर चीनू ने रोज की तरह जिद पकड़ ली, ‘‘पापा, कहानी सुनाओ न !’’
पापा ने अपनी बेटी चीनू को लोककथाएं और देवी-देवताओं की कितनी ही कहानियां सुनाई थीं, पर चीनू की हर रोज यही फरमाइश होती कि उसे नई कहानी सुनायी जाये। रोज नयी कहानी गढ़ना और सुनना मुश्किल था। चीनू के पापा को एक नयी युक्ति सूझी। उन्होंने सोचा कि ऊधमपुर को जाने वाली बस में जो घटना हुई थी, वही कहानी क्यों न सुना दी जाये !
मंगू : नंदू का छोटा बेटा
मंगू की मम्मी : नंदू की पत्नी
टुंडू : तवी दरिया के पास जंगल में रहने वाला एक छोटा बंदर
कक्खा : तवी दरिया के किनारे रहने वाला एक और बंदर
सत्था, शटप्पा, घुरको, लौंकर, खरड़ा, सरदा, गुल्लो, पांडा : सभी तवी के किनारे रहने वाले छोटे-छोटे बंदर
शेरा : बंदरों का सरदार बूजो बंदर
स्वामी बंदर : नंदिनी के जंगल में रहनेवाले बंदरों का सरदार
रात होने पर चीनू ने रोज की तरह जिद पकड़ ली, ‘‘पापा, कहानी सुनाओ न !’’
पापा ने अपनी बेटी चीनू को लोककथाएं और देवी-देवताओं की कितनी ही कहानियां सुनाई थीं, पर चीनू की हर रोज यही फरमाइश होती कि उसे नई कहानी सुनायी जाये। रोज नयी कहानी गढ़ना और सुनना मुश्किल था। चीनू के पापा को एक नयी युक्ति सूझी। उन्होंने सोचा कि ऊधमपुर को जाने वाली बस में जो घटना हुई थी, वही कहानी क्यों न सुना दी जाये !
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